विधुत (Electricity)
इस लेख में हम विधुत ऊर्जा के बारे में जानेगे
- स्थिर विधुत- विधुत वह ऊर्जा है जिसके कारण किसी पदार्थ में हल्की वस्तुओं को आकर्षित करने का गुण उत्पन्न हो जाता है।
दो वस्तुओं को आपस में रगड़ने से उत्पन्न विधुत को घर्षण विधुत कहते है।
यदि पदार्थ में उत्पन्न हुई इस विधुत को स्थिर रखा जाय (अर्थात बहने न दिया जाय तो इसे स्थिर विधुत भी कहते है। - समान प्रकार के (अर्थात धन-धन या ऋण ऋण) आवेश परस्पर प्रतिकर्षित होते है तथा
विपरीत प्रकार के आवेश परस्पर आकर्षित होते है। - संरचना – प्रत्येक पदार्थ के परमाणु में एक नाभिक होता है जिसमें प्रोटॉन (धनावेशित) तथा न्युट्रॉन
(आवेशिरहित) कण होते है। ये बहुत दृढ़ता से आपस में बंधे रहते है, जिन्हें आसानी से नाभिक
से अलग नहीं किया जा सकता है। - नाभिक के बाहर, इलेक्ट्रॉन नामक कण होते है जिन पर ऋणात्मक आवेश होता है।
इलेक्ट्रान व प्रोटॉन का आवेश बराबर परन्तु विपरीत होता है।
सामान्य परमाणु विधुत उदासीन होते है अतः परमाणु विधुत उदासीन होता है। - इलेक्ट्रॉन सिद्धान्त –
दो पदार्थों को परस्पर रगड़ने से एक परमाणु में से कुछ इलेक्ट्रॉन निकल कर दूसरे पदार्थ के परमाणुओं में चले जाते है।
जिस पदार्थ में से इलेक्ट्रॉन निकलकर दूसरे पदार्थ के परमाणुओं में चले जाते हैं वह धन आवेशित हो जाता है।
(अर्थात उस पर धन विद्युत आ जाती हैं) तथा जो पदार्थ इलेक्ट्रॉनों को ग्रहण करता हैं,
वह ऋण आवेशित हो जाता है।
यही घर्षण विधुत का इलेक्ट्रान सिद्धान्त है।
- नीचे तालिका में दो वस्तुओं को रगड़ने से प्रथम वस्तु धनावेशित व द्वितीय ऋणावेशित है।
बिल्ली की खाल – लकड़ी
लाख – एबोनाइट
कांच – गटापार्चा
रेशम – गनकॉटन
मुक्त इलेक्ट्रॉन –
- कुछ पदार्थों में परमाणु ऐसे होते है कि उनमें से बाहरी इलेक्ट्रानों को आसानी से निकाला जा सकता है इन इलेक्ट्रानों को मुक्त इलेक्ट्रान कहते है।
किसी पदार्थ में विद्युतआवेश का प्रवाह (विधुत धारा का प्रवाह) पदार्थ में उपस्थित इन्हीं मुक्त इलेक्ट्रोनों की गति के कारण होता है।
इस आधार पर पदार्थ तिन प्रकार के होते है- - चालक – धातुओं जैसे चाँदी आदी में अपेक्षाकृत मुक्त इलेक्ट्रॉनों की संख्या बहुत अधिक होती है अतः
इनमे विधुत चालन सम्भव है ये पदार्थ चालक कहलाते है।
इन्हें आवेश देने पर वह तुरंत सम्पूर्ण पृष्ठ पर फैल जाते है। - अचालक – ये पदार्थ (जैसे लकड़ी,कांच, एबोनाइट आदि) जिनमें अपेक्षाकृत बहुत कम (लगभग नगण्य) मुक्त इलेक्ट्रॉन होते है,
अचालक या कुचालक या विधुतरोधी कहलाते है, इनमें विधुत चालन सम्भव नहीं होता। - अर्द्ध चालक – वे पदार्थ जिनमे मुक्त इलेक्ट्रॉन न बहुत अधिक व न बहुत कम होते है, अर्द्ध चालक कहलाते है उदाहण के लिए कार्बन, सिलिकॉन, जर्मेनियम, आदि अर्द्धचालक है। इनमें साधारण ताप तथा निम्न ताप पर विद्युत चालन सम्भव नहीं होता लेकिन उच्च ताप पर विद्युत चालन संभव हो जाता है।
- अतिचालक – यदि किसी धातु का ताप कम कर दिया जाये तो उसमें विद्युत चालन बढ़ जाता है अर्थात उसका विद्युत प्रतिरोध कम हो जाता है। कुछ धातुओं का प्रतिरोध परम शून्य ताप (0K) के निकट पहुचने पर लगभग शून्य हो जाता है और तब वे अति चालक कहलाते हैं। कुछ सेरेमिक पदार्थ 100 k ताप पर ही अतिचालक बन जाते है।