– राजस्थान का नाम आते ही उत्तर-पश्चिमी मरुस्थलीय क्षेत्र, अरावली पर्वतमाला, चम्बल नदी का बहाव क्षेत्र, पठारी प्रदेश व पूर्व का समतल मैदान हमें राजस्थान के बारे में जानने की प्रेरणा देता है।
– राजस्थान के भौगोलिक क्षेत्रों का सर्वप्रथम अध्ययन प्रो.वी.सी. मिश्रा ने किया। उनकी पुस्तक का नाम “राजस्थान का भूगोल” है।
– प्राचीन काल से ही इस भू-भाग को ही ‘ब्रह्मवर्त’, ‘मरुकांतर’,‘राजस्थानीयादित्य’,‘राजपुताना’,‘रायथान’, ‘रजवाड़ा’ व ‘राजस्थान’ आदि नामों से जाना जाता था।
राजस्थान की उत्पत्ति
– महाद्वीपीय -विस्थापन का सिद्धांत वेगनर ने दिया।
– वेगनर ने बताया कि सर्वप्रथम पृथ्वी पर एक ही भू-भाग था।
– इस भू-भाग का नाम ‘पेंजिया’ था तथा इसके चारों ओर जलीय आकृति ‘पेंथालासा’ थी।
– प्री-केम्ब्रियन काल में इस पेंजिया का विखण्डन हो गया तथा जिस टुकड़े का खिंचाव उत्तर की ओर हुआ उसे ‘अंगारा लैंड’ तथा जिसका खिंचाव दक्षिण की ओर हुआ उसे ‘गोंडवाना लैंड’ नाम दिया गया।
– अंगारा लैंड तथा गोंडवाना लैंड के बीच में स्थित जलीय -आकृति को वेगनर ने ‘टेथिस महासागर’ नाम दिया था।
– राज्य की उत्पत्ति में अंगारा लैंड का कोई योगदान नहीं है।
– राजस्थान का उत्तर-पश्चिम मरुस्थलीय प्रदेश टेथिस-महासागर के अवशेष हैं।
– अरावली पर्वतीय प्रदेश व दक्षिण-पूर्वी पठारी भाग गोंडवाना लैंड के अवशेष हैं।
– टेथिस सागर के अवशेष के रूप में ‘सांभर’, ‘डीडवाना’, ‘पचपदरा’ खारे पानी की झीलें तथा समुद्री खनिज के रूप में ‘जिप्सम’, ‘लाइमस्टोन’, ‘लिग्नाइट कोयला’, ‘तेल व प्राकृतिक गैस’ भी इनका अवशेष हैं। पूर्वी-मैदानी भाग भी टेथिस-महासागर का अवशेष हैं।
– राजस्थान में अधिकांशत: स्थलाकृतियों के निर्माण में टेथिस महासागर का योगदान है।
– राजस्थान के भौगोलिक क्षेत्रों का निर्माण ‘मरु’, ‘मेरु’ व ‘माल’ से हुआ है।
मरु– उत्तरी-पश्चिमी मरुस्थलीय प्रदेश
मरु – अरावली पर्वतमाला
माल- हाड़ौती पठार, पूर्वी मैदानी प्रदेश
राजस्थान का नामकरण:-
ब्रह्मवर्त:-
– वैदिक काल में इसे ब्रह्मवर्त नाम से जाना जाता था।
– वैदिक काल में यहाँ पर दृषद्वती या सरस्वती नदी का प्रवाह होने का उल्लेख मिलता है।
मरुकांतर:-
– इस शब्द का उल्लेख ‘वाल्मिकीकृत रामायण’ में किया गया है।
राजस्थानीयादित्य:-
– इस शब्द का उल्लेख ‘बसन्तगढ़ शिलालेख’ सिरोही में मिलता है।
• यह शिलालेख चावंड वंश के शासक ‘वर्मलात’ के काल में लगाया गया था।
– बसंतगढ़ शिलालेख बसन्तगढ़, सिरोही में खेमल माता के मंदिर के बाहर खुदवाया गया था।
राजपुताना:-
इस शब्द का उल्लेख सर्वप्रथम जॉर्ज थॉमस ने 19वीं सदी के प्रारम्भ (1800 ई.) में किया था।
– ‘जॉर्ज थॉमस’ ग्वालियर के शासक ‘दौलतराव सिन्धिया’ का अंग्रेजी कमांडर था।
– राजपुताना शब्द का लिखित प्रमाण 1805 ई. में प्रकाशित ‘विलियम फ्रेंकलिन’ की पुस्तक ‘मिलिट्री मेमॉयर्स ऑफ जॉर्ज थॉमस’ में मिलता है।
राजस्थान, रजवाड़ा, रायथान:-
– कर्नल जेम्स टॉड ने अपनी पुस्तक ‘एनाल्स एण्ड एंटिक्विटीज ऑफ राजस्थान’ का प्रकाशन 1829 ई. में करवाया। इस पुस्तक में इस भू-भाग के लिए उन्होंने राजस्थान व रजवाड़ा शब्द का उल्लेख किया था। उक्त पुस्तक राजस्थान की सामन्तवादी व्यवस्था या जागीरदारी व्यवस्था पर लिखी गई थी।
– इसका दूसरा नाम ‘द सेण्ट्रल एण्ड वेस्टर्न राजपूत स्टेट ऑफ इण्डिया’ है।
– 1835 ई. में कर्नल जेम्स टॉड की मृत्यु हो गई तथा इनकी पत्नी ने 1839 ई. में दूसरी पुस्तक ‘पश्चिमी– भारत की यात्रा’ को प्रकाशित करवाया था।
– ‘मुहणोत नैणसी ने अपनी रचना नैणसी री ख्यात’ तथा वीरभान के ‘राजरूपक’ में राजस्थान शब्द का प्रयोग किया।
(यह शब्द भौगोलिक प्रदेश राजस्थान के लिए प्रयुक्त हुआ नहीं लगता अर्थात् सर्वप्रथम राजस्थान शब्द का प्रयोग करने का श्रेय कर्नल जेम्स टॉड को दिया जाता है।)
– राजस्थान के एकीकरण के द्वितीय चरण (25 मार्च 1948) में सर्वप्रथम राजस्थान शब्द का उल्लेख मिलता है। (पूर्वी राजस्थान संघ के रूप में)
– एकीकरण के छठे चरण (26 जनवरी 1950) में राजस्थान शब्द को वैधानिक मान्यता मिली।
– एकीकरण के अंतिम चरण (1 नवंबर 1956) को राजस्थान को राज्य पूनर्गठन आयोग की सिफारिश पर राज्य के रूप में मान्यता मिली।
राजस्थान का परिचय:-
– भारत के उत्तर पश्चिम में स्थित क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत का सबसे बड़ा राज्य राजस्थान है। इसका कुल क्षेत्रफल 3,42,239 वर्ग किलोमीटर है, (1,32,139 वर्ग मील) जो भारत के कुल क्षेत्रफल का 10.41% या 1/10वाँ भाग है।
– (1 नवम्बर, 2000 को मध्य प्रदेश से छत्तीसगढ़ राज्य के अलग होने से राजस्थान क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत का सबसे बड़ा राज्य बना।)
– क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत के पाँच बड़े राज्य – राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और आन्ध्र प्रदेश।
– राजस्थान क्षेत्रफल की दृष्टि से श्रीलंका से पाँच गुना, चेकोस्लोवाकिया से तीन गुना, इजराइल से सत्रह गुना, ब्रिटेन से दुगुना है।
– राजस्थान का क्षेत्रफल लगभग जापान, कॉन्गो रिपब्लिक, फिनलैंड और जर्मनी के क्षेत्रफल के भी बराबर है।
– क्षेत्रफल की दृष्टि से राजस्थान के चार बड़े जिले-
1. जैसलमेर (38,401 वर्ग कि.मीटर)
2. बाड़मेर (28,387 वर्ग कि.मीटर)
3. बीकानेर (27,244 वर्ग कि.मीटर)
4. जोधपुर (22,850 वर्ग कि.मीटर)
– क्षेत्रफल की दृष्टि से राजस्थान के चार छोटे जिले-
1. धौलपुर (3,034 वर्ग कि.मीटर)
2. दौसा (3,439 वर्ग कि.मीटर)
3. डूँगरपुर (3,770 वर्ग कि.मीटर)
4. राजसमंद (3,860 वर्ग कि.मीटर)
नोट:-
– धौलपुर से पहले राजस्थान का सबसे छोटा जिला दौसा (2,950 वर्ग कि.मीटर) था, लेकिन महुवा तहसील (489 वर्ग कि.मीटर सवाई माधोपुर) 15 अगस्त, 1992 को दौसा में शामिल हो जाने से दौसा का क्षेत्रफल बढ़कर (3,439 वर्ग कि.मीटर) हो गया।
तथ्य:-
– राजस्थान, जैसलमेर से 8.9 गुना बड़ा है।
– जैसलमेर, राजस्थान का 11.22 प्रतिशत भाग है।
– राजस्थान, धौलपुर से 112.8 गुना बड़ा है।
– धौलपुर, राजस्थान का 0.88 प्रतिशत हिस्सा है।
– जैसलमेर, धौलपुर से 12.66 गुना बड़ा है।
– धौलपुर, जैसलमेर का 7.9 प्रतिशत हिस्सा है।
राजस्थान की स्थिति, विस्तार एवं आकृति:-
नोट:-
– ग्लोब या विश्व के मानचित्र में राजस्थान की स्थिति उत्तर-पूर्व (इशान कोण) में है।
– राजस्थान की आकृति विषम चतुष्कोणीय चतुर्भुजाकार या पतंगाकार है।
– इस आकृति के बारे में सर्वप्रथम ‘टी.एच. हेंडले’ ने बताया।
राजस्थान का अक्षांशीय एवं देशांतरीय विस्तार:-
राजस्थान का अक्षांशीय विस्तार:-
– राजस्थान का अक्षांशीय विस्तार 23°3’ उत्तरी अक्षांश से 30°12’ उत्तरी अक्षांश तक है।
– राजस्थान का अक्षांशीय विस्तार 7°9’ अक्षांशों के मध्य है।
– राजस्थान के उत्तर से दक्षिण लम्बाई 826 किमीटरहै।
– राजस्थान का उत्तरतम बिन्दु कोणा गाँव (श्रीगंगानगर) है।
– राजस्थान का दक्षिणतम बिन्दु बोरकुण्ड (बांसवाड़ा) है।
राजस्थान का देशांतरीय विस्तार:-
– राजस्थान का देशान्तरीय विस्तार 69°30’ पूर्वी देशांतर से 78°17’ पूर्वी देशांतर तक है।
– राजस्थान का देशातरीय विस्तार 8°47’ देशांतरों के मध्य है।
– राजस्थान की पूर्व से पश्चिम चौड़ाई 869 किमीटर है।
– राजस्थान का पूर्वी बिन्दु सिलाना गाँव (धौलपुर) है।
– राजस्थान का पश्चिमी बिन्दु कटरा गांव(जैसलमेर) है।
उत्तरी अक्षांश:-
इसे कर्क रेखा कहते हैं।
– राजस्थान में अक्षांशीय स्थिति की शुरुआत व कर्क रेखा के बीच में 27’ का अन्तर है।
– यह भारत के आठ राज्यों गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़, झारखण्ड, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा व मिजोरम से होकर गुजरती है।
– यह राजस्थान के डूँगरपुर जिले के चिकली गाँव (सिमलवाड़ा तहसील) को छूते हुए बाँसवाड़ा के मध्य से (कुशलगढ़ से होकर) गुजरती है अर्थात् यह राजस्थान के दो जिलों से होकर गुजरती है।
– इसकी राजस्थान में कुल लम्बाई 26 कि.मीटर है।
– कर्क रेखा राजस्थान के दक्षिणी भाग में स्थित है जबकि राजस्थान का 99% क्षेत्रफल कर्क रेखा के उत्तरी भाग में स्थित है।
– सूर्य की सीधी किरणें कर्क रेखा पर यानी बाँसवाड़ा जिले में पड़ती हैं, तो राजस्थान में सर्वाधिक तिरछी किरणें श्रीगंगानगर में पड़ेगी।
– कुशलगढ़ (बाँसवाड़ा) में 21 जून को सूर्य की किरणें कर्क रेखा पर लम्बवत् पड़ती हैं।
– कर्क रेखा से जैसे-जैसे हम उत्तर की ओर जाते हैं, वैसे-वैसे सूर्य की किरणें तिरछी पड़ती जाती हैं।
– माही नदी कर्क रेखा को दो बार काटती है इसलिए इसे राजस्थान की ‘स्वर्ण रेखा’ कहा जाता है।
– राज्य मे सूर्य की सबसे तिरछी किरणें 22 दिसम्बर को पड़ती है।
– 22 दिसम्बर को सूर्य राजस्थान से अधिकतम दूरी पर होता है।
– राज्य में सूर्य की सबसे कम तिरछी किरणें 21 जून, श्रीगंगानगर में पड़ती है।
– राजस्थान में सबसे बड़ा दिन 21 जून को होता है।
– राजस्थान में सबसे बड़ी रात 22 दिसम्बर को होती है।
– राज्य में दिन व रात की अवधि बराबर 21 मार्च व 23 सितम्बर को होती है।
– जैसलमेर तथा धौलपुर में सूर्योदय का अन्तर लगभग 36 मिनट का होता है।
– सर्वप्रथम सूर्योदय व सूर्यास्त धौलपुर जिले में होता है तथा राजस्थान में सबसे बाद में सूर्योदय व सूर्यास्त जैसलमेर में होता है।
राजस्थान का विस्तार:-
राजस्थान की स्थलीय सीमा-
– राजस्थान की कुल स्थलीय सीमा 5,920 किलोमीटर है, जिसमें से 1,070 किलोमीटर अन्तर्राष्ट्रीय सीमा तथा 4,850 किलोमीटर अन्तर्राज्यीय सीमा है।
राजस्थान की अन्तर्राष्ट्रीय सीमा-
– राजस्थान की अन्तर्राष्ट्रीय सीमा पाकिस्तान के साथ लगती है। इस सीमा का नाम ‘रेडक्लिफ रेखा’ है।
रेडक्लिफ रेखा
– रेडक्लिफ रेखा एक कृत्रिम रेखा है।
– रेडक्लिफ रेखा भारत और पाकिस्तान के बीच खींची गई है।
– रेडक्लिफ लाइन का निर्धारण 17 अगस्त, 1947 को हुआ।
– रेडक्लिफ रेखा पर भारत के 4 राज्य स्थित हैं-
1. जम्मू – कश्मीर
2. पंजाब
3. राजस्थान
4. गुजरात
– रेडक्लिफ लाइन की कुल लम्बाई 3,310 कि.मीटर है, जिसमें से राजस्थान के साथ 1,070 कि.मीटर की सीमा लगती है यानी कि कुल रेडक्लिफ का एक–तिहाई भाग राजस्थान के साथ संलग्न है।
– इस अन्तर्राष्ट्रीय रेखा का नामकरण ब्रिटिश ‘वकील सिरिल रेडक्लिफ’ के नाम पर किया गया था।
– रेडक्लिफ रेखा पर क्षेत्रफल की दृष्टि से राज्य का बड़ा जिला जैसलमेर है और सबसे छोटा जिला श्रीगंगानगर है।
– अन्तर्राष्ट्रीय रेखा की शुरुआत श्रीगंगानगर जिले के हिन्दूमल कोट से शुरू होकर बाड़मेर जिले के भागल गाँव (बखासर) तक है।
– राजस्थान के 4 जिले अन्तर्राष्ट्रीय रेखा पर स्थित हैं जो कि निम्नलिखित हैं-
1. | श्रीगंगानगर | 210 किलो मीटर |
2. | बीकानेर | 168 किलो मीटर (न्यूनतम) |
3. | जैसलमेर | 464 किलो मीटर (सर्वाधिक) |
4. | बाड़मेर | 228 किलो मीटर |
– रेडक्लिफ लाइन निर्धारण आयोग में कांग्रेस के सदस्य जस्टिस महिर चंद महाजन एवं तेजसिंह थे।
– राजस्थान की पाकिस्तान के साथ अन्तर्राष्ट्रीय-सीमा राजस्थान के उत्तर-पश्चिम दिशा में लगती है।
– अन्तर्राष्ट्रीय सीमा पर स्थित जिलों में से सबसे नजदीक जिला-मुख्यालय श्रीगंगानगर है तथा सबसे दूर बीकानेर है।
– नजदीक से दूर स्थित जिला-मुख्यालयों का क्रम- श्रीगंगानगर, बाड़मेर, जैसलमेर, बीकानेर।
– अन्तर्राष्ट्रीय-सीमा पर स्थित जिलों के अतिरिक्त सबसे नजदीक जिला-मुख्यालय जालोर तथा सबसे दूर धौलपुर है।
रेडक्लिफ पर पाकिस्तान के 9 जिले स्थित हैं- पंजाब प्रान्त के 3 जिले बहावलनगर, बहावलपुर, रहीमयार खां जिले तथा सिंध प्रांत के 6 जिले घोटकी, सुक्कुर, खैरपुर, संघर, उमरकोट, व थारपारकर राजस्थान के साथ अन्तर्राष्ट्रीय सीमा बनाते हैं।
अन्तर्राज्यीय-सीमा-
– राजस्थान राज्य की स्थलीय सीमा पाँच राज्यों के साथ लगती है।
– यह अन्तर्राज्यीय-सीमा 4,850 कि.मीटर है।
– राजस्थान के उत्तर में पंजाब राज्य है।
– राजस्थान के उत्तर-पूर्व में हरियाणा राज्य है।
– राजस्थान के पूर्व में उत्तर प्रदेश राज्य है।
– राजस्थान के दक्षिण-पूर्व में मध्य प्रदेश राज्य है।
– राजस्थान के दक्षिण-पश्चिम में गुजरात राज्य है।
पंजाब राज्य-
– यह राजस्थान के साथ न्यूनतम सीमा 89 किलोमीटर बनाता है।
– श्रीगंगानगर व हनुमानगढ़ पंजाब राज्य की सीमा पर स्थित राजस्थान के दो जिले हैं।
– श्रीगंगानगर पंजाब के साथ सर्वाधिक व हनुमानगढ़ न्यूनतम सीमा बनाता है।
– पंजाब के दो जिलों की सीमा राजस्थान के साथ लगती है
1.फाज्लिका
2. मुक्तसर साहिब।
– पंजाब की सीमा से दूर जिला मुख्यालय श्रीगंगानगर है।
– पंजाब की सीमा पर क्षेत्रफल की दृष्टि से बड़ा जिला श्रीगंगानगर है और छोटा जिला हनुमानगढ़ है।
हरियाणा राज्य-
– हरियाणा राज्य राजस्थान के साथ 1,262 कि.मीटर की सीमा बनाता है।
– राजस्थान के 7 जिले हरियाणा के साथ सीमा बनाते हैं- (हनुमानगढ़, चूरू, झूंझुनूँ , सीकर, जयपुर, अलवर, भरतपुर) हरियाणा के साथ हनुमानगढ़ सर्वाधिक तथा जयपुर न्यूनतम सीमा बनाते हैं।
– हरियाणा के सात जिलों की सीमाएँ राजस्थान के साथ लगती है-
1. रेवाड़ी
2. महेन्द्रगढ़
3. भिवानी
4. हिसार
5. सिरसा
6.फतेहाबाद
7. मेवात
– हरियाणा की सीमा से दूर जिला मुख्यालय जयपुर है।
– हरियाणा की सीमा पर क्षेत्रफल की दृष्टि से बड़ा जिला चूरू है और सबसे छोटा जिला झूंझुनूँ है।
उत्तर प्रदेश राज्य-
– उत्तर प्रदेश राज्य राजस्थान के साथ 877 कि.मीटर की सीमा बनाता है।
– उत्तर प्रदेश के साथ राजस्थान के दो जिले सीमा बनाते हैं- (भरतपुर सर्वाधिक, धौलपुर न्यूनतम)।
– उत्तर प्रदेश के दो जिलों की सीमाएँ राजस्थान के साथ लगती हैं-
1. मथुरा
2. आगरा
– उत्तर प्रदेश की सीमा के नजदीक जिला मुख्यालय भरतपुर है व दूर जिला मुख्यालय धौलपुर है।
– उत्तर प्रदेश की सीमा पर क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़ा जिला भरतपुर व छोटा जिला धौलपुर है।
मध्य प्रदेश राज्य-
– मध्य प्रदेश राज्य राजस्थान के साथ 1,600 कि.मीटर की सीमा बनाता है।
– राजस्थान के 10 जिले मध्य प्रदेश के साथ सीमा बनाते हैं-
1. धौलपुर
2. करौली
3. सवाई माधोपुर
4. कोटा
5. बाराँ
6. झालावाड़
7. चित्तौड़गढ़
8. भीलवाड़ा
9. प्रतापगढ़
10. बाँसवाड़ा।
– मध्य प्रदेश के साथ झालावाड़ सर्वाधिक तथा भीलवाड़ा न्यूनतम सीमा बनाता है। मध्य प्रदेश के निम्नलिखित जिलों की सीमाएँ लगती हैं-
1. झाबुआ
2. रतलाम
3. मंदसौर
4. नीमच
5. राजगढ़
6. गुना
7. शिवपुरी
8. अगरमालवा
9. मुरैना
10. श्योपुर
– मध्य प्रदेश की सीमा के नजदीक जिला मुख्यालय धौलपुर है व दूर जिला मुख्यालय भीलवाड़ा है।
– मध्य प्रदेश की सीमा पर क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़ा जिला भीलवाड़ा व छोटा जिला धौलपुर है।
– बूँदी जिला मध्य प्रदेश के साथ सीमा नहीं बनाता है।
– कोटा मध्य प्रदेश के साथ में दो बार सीमा बनाता है-
1. सवाई माधोपुर व बाराँ के मध्य।
2. झालावाड़ व चित्तौड़गढ़ के मध्य।
गुजरात राज्य-
– गुजरात राज्य राजस्थान के साथ 1,022 कि.मीटर की सीमा बनाता है।
– गुजरात के साथ राजस्थान के बाँसवाड़ा, डूँगरपुर, उदयपुर, सिरोही, जालोर व बाड़मेर जिले सीमा बनाते हैं।
– गुजरात के साथ उदयपुर सर्वाधिक तथा बाड़मेर न्यूनतम सीमा बनाता है।
– गुजरात के छह जिलों की सीमा राजस्थान के साथ लगती है-
1. बनासकांठा
2. साबरकांठा
3. अरावली
4. महीसागर
5. दाहोद
6. कच्छ
– गुजरात की सीमा के नजदीक जिला मुख्यालय डूँगरपुर व दूर जिला मुख्यालय बाड़मेर है।
– गुजरात की सीमा पर क्षेत्रफल की दृष्टि से बड़ा जिला बाड़मेर है व छोटा जिला डूँगरपुर है।
– राज्य के सर्वाधिक निकट स्थित बंदरगाह कांडला बंदरगाह (गुजरात) है।
– राजस्थान के 25 जिले अन्तर्राज्यीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय सीमा पर स्थित है।
– राजस्थान के चार ऐसे जिले हैं जो दो-दो राज्यों के साथ सीमा बनाते हैं-
1. हनुमानगढ़ – पंजाब व हरियाणा।
2. भरतपुर – हरियाणा व उत्तर प्रदेश।
3. धौलपुर – उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश।
4. बाँसवाड़ा – मध्य प्रदेश व गुजरात।
– राजस्थान के 2 जिले अन्तर्राज्यीय व अन्तर्राष्ट्रीय सीमा पर स्थित हैं-
1. श्रीगंगानगर – पाकिस्तान व पंजाब।
2. बाड़मेर – पाकिस्तान व गुजरात।
– राजस्थान के 8 ऐसे जिले हैं जिनकी सीमा किसी भी राष्ट्र तथा राज्य से नहीं लगती है। वे निम्नलिखित हैं-
1. जोधपुर
2. पाली
3. नागौर
4. अजमेर
5. टोंक
6. दौसा
7. राजसमन्द
8. बूँदी
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राजस्थान के संभाग –
– वर्तमान में राजस्थान में 7 संभाग हैं।
– नवीनतम संभाग भरतपुर है। इसकी घोषणा तत्कालीन मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे सिंधिया ने 04 जून, 2005 को की।
– अप्रैल, 1962 को तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री मोहनलाल सुखाड़िया ने संभागीय व्यवस्था को समाप्त कर दिया तथा 26 जनवरी, 1987 को हरदेव जोशी ने संभागीय व्यवस्था को पुन: शुरू किया और अजमेर को छठा संभाग बनाया।
– जिले के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी को जिलाधीश (वर्तमान में जिला कलेक्टर) एवं संभाग स्तर पर मुख्य प्रशासनिक अधिकारी को संभागीय आयुक्त के पदनाम से संबोधित किया गया।
– सर्वाधिक अंतर्राष्ट्रीय सीमा बनाने वाला संभाग- जोधपुर।
– न्यूनतम अंतर्राष्ट्रीय सीमा बनाने वाला संभाग- बीकानेर।
– सर्वाधिक अन्तर्राज्यीय सीमा बनाने वाला संभाग – उदयपुर।
– न्यूनतम अन्तर्राज्यीय सीमा बनाने वाला संभाग – अजमेर।
– अन्तर्राज्यीय सीमा के नजदीक संभागीय मुख्यालय – भरतपुर।
– अन्तर्राज्यीय सीमा से दूर संभागीय मुख्यालय – जोधपुर।
– अन्तर्राज्यीय सीमा पर क्षेत्रफल की दृष्टि से बड़ा संभाग – जोधपुर।
– अन्तर्राज्यीय सीमा पर क्षेत्रफल की दृष्टि से छोटा संभाग – भरतपुर।
– दो बार अन्तर्राज्यीय सीमा बनाने वाला संभाग – उदयपुर। (गुजरात और मध्य प्रदेश)
– सर्वाधिक तीन राज्यों की सीमा बनाने वाला संभाग – भरतपुर। (हरियाणा, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश)
– राज्य का मध्यवर्ती संभाग – अजमेर।
– सर्वाधिक नदियों वाला संभाग – कोटा।
– सबसे कम नदियों वाला संभाग – बीकानेर।
राजस्थान के जिले-
– वर्तमान में राजस्थान में 33 जिले हैं।
– सबसे नवीन जिला प्रतापगढ़ है। इसके निर्माण के लिए परमेशचन्द्र कमेटी का गठन किया गया था।
– प्रतापगढ़ के निर्माण के लिए तीन जिलों का विखण्डन हुआ।
1. उदयपुर – धारियावाद
2. चित्तौड़गढ़ – प्रतापगढ़, छोटी सादड़ी, अरनोद
3. बाँसवाड़ा – पीपल खूंट
– एकीकरण के समय सबसे अन्त में सम्मिलित होने वाला जिला अजमेर था, जिसे 26 वें जिले के रूप में मान्यता मिली।
– 27 वाँ जिला धौलपुर 15 अप्रैल, 1982 को बना।
– 28 वाँ जिला बाराँ 10 अप्रैल, 1991 को बना।
– 29 वाँ जिला दौसा 10 अप्रैल, 1991 को बना।
– 30 वाँ जिला राजसमन्द 10 अप्रैल, 1991 को बना।
– 31 वाँ जिला हनुमानगढ़ 12 जुलाई, 1994 को बना।
– 32 वाँ जिला करौली 19 जुलाई, 1997 को बना।
– 33 वाँ जिला प्रतापगढ़ 1 अप्रैल, 2008 को बना।
क्र.स. | संभाग | जिले के नाम | क्षेत्रफल(वर्ग किमीटर) | जनसंख्या (लाखों में) | विशेष विवरण |
1. | जयपुर | जयपुर, सीकर, झुंझुनूँ अलवर, दौसा | 36,615 | 167.90 | सर्वाधिक जनसंख्या,सर्वाधिक घनत्वसर्वाधिक अनुसूचित जाति प्रतिशत जनसंख्या,सर्वाधिक साक्षरता – 72.99, राज्य का उत्तर-पूर्वी संभाग। |
2. | जोधपुर | जोधपुर, पाली, जालोर, सिरोही, बाड़मेर, जैसलमेर | 1,17,800 | 118.68 | सर्वाधिक क्षेत्रफल, सर्वाधिक दशकीय जनसंख्या वृद्धि दर, सबसे कम साक्षरता – 59.57,राज्य का पश्चिमी संभाग। |
3. | बीकानेर | बीकानेर, चूरू, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़ | 64,708 | 81.58 | सर्वाधिक अनुसूचित जाति जनसंख्या प्रतिशत,राज्य का उत्तरी संभाग। |
4. | अजमेर | अजमेर, नागौर, भीलवाड़ा, टोंक | 43,848 | 97.26 | राज्य का मध्वर्ती संभाग। |
5. | उदयपुर | उदयपुर, डूँगरपुर, बाँसवाड़ा, राजसमंद, चित्तौड़गढ़, प्रतापगढ़ | 36,942 | 98.25 | सर्वाधिक अनुसूचित जनजाति, सर्वाधिक लिंगानुपात, दक्षिणी संभाग। |
6. | कोटा | कोटा, बूँदी, झालावाड, बाराँ | 24,204 | 56.99 | न्यूनतम जनसंख्या, सर्वाधिक नदियाँ,राज्य का दक्षिण-पूर्वी सभांग। |
7. | भरतपुर | भरतपुर, धौलपुर, करौली, सवाई माधोपुर | 18,122 | 65.52 | न्यूनतम क्षेत्रफल, न्यूनतम लिंगानुपात,राज्य का पूर्वी संभाग। |
राजस्थान के जिलों की आकृतियाँ
► दौसा : धनुषाकार
► सीकर : प्यालेनुमा/अर्द्ध चन्द्राकार
► भीलवाड़ा : आयताकार
► अजमेर : त्रिभुजाकार
► टोंक : पतंगाकार (राजस्थान की आकृति के समान)
► चित्तौड़गढ़ : घोड़े की नाल के समान
► उदयपुर : ऑस्ट्रेलिया महाद्वीप के समान
► धौलपुर, करौली : बतख के समान
► जैसलमेर : अनियमित बहुभुजाकार
► जोधपुर : मयूराकार
राजस्थान के भौगोलिक विशेषताओं वाले क्षेत्र एवं उनके उपनाम
कांठल–
– प्रतापगढ़ के आसपास का क्षेत्र माही नदी के किनारे होने के कारण इसका नाम कांठल पड़ा।
गिरवा-
– उदयपुर, के आसपास पहाड़ियों से घिरे भाग को गिरवा कहते हैं, जिसका सामान्य अर्थ पहाड़ियों की मेखला है।
भौमट-
– डूँगरपुर, पूर्वी सिरोही व उदयपुर जिलों का आदिवासी क्षेत्र।
शेखावाटी-
– झूंझुनूँ, चूरू, सीकर, जिलों को शेखावाटी के नाम से जाना जाता है।
ढूँढाड़-
– आधुनिक जयपुर के पास बहने वाली ढूँढ नदी के समीपवर्ती भाग को ढूँढाड़ कहते थे।
गुर्जर प्रदेश- जोधपुर और पाली का क्षेत्र।
वल्ल और दुंगल- बाड़मेर, जैसलमेर, चित्तौड़गढ़ क्षेत्र।
स्वर्णगिरी- जालोर का क्षेत्र।
ऊपरमाल का पठार-
– मुख्य रूप से भैंसरोड़गढ़ (चित्तौड़गढ़) एवं बिजौलिया (भीलवाड़ा) के मध्य पठारी भू-भाग।
देशहरो-
– जरगा और रागा के बीच पहाड़ी भाग जो वर्ष भर हरा-भरा रहता है, इसलिए इस प्रदेश को देशहरो कहा जाता था।
थली- चूरू, सरदारशहर का क्षेत्र।
छप्पन का मैदान-
– प्रतापगढ़ एवं बाँसवाड़ा के मध्य भू-भाग को छप्पन का मैदान कहा जाता है क्योंकि इस भू-भाग में छप्पन गाँवों अथवा नदी-नालों का समूह है।
मेवल व देवलिया-
– बाँसवाड़ा और डूँगरपुर के मध्य का भू-भाग है। मेव (डूंगर पहाड़ी) स्थित होने के कारण।
मत्स्य प्रदेश-
– अलवर, भरतपुर, धौलपुर व करौली जिले का पूर्वी भाग।
यौद्धेय-
– श्रीगंगानगर के निकट का प्रदेश।
शौरसेन-
– भरतपुर, करौली, धौलपुर का क्षेत्र।
शिवी-
– उदयपुर, चित्तौड़गढ़ का क्षेत्र।
बागड़-
– डूँगरपुर, बाँसवाड़ा का क्षेत्र।
अहिच्छत्रपुर-
– नागौर के चारों ओर का क्षेत्र।
– महाद्वीपीय -विस्थापन का सिद्धांत वेगनर ने दिया।
– वेगनर ने बताया कि सर्वप्रथम पृथ्वी पर एक ही भू-भाग था।
– इस भू-भाग का नाम ‘पेंजिया’ था तथा इसके चारों ओर जलीय आकृति ‘पेंथालासा’ थी।
– प्री-केम्ब्रियन काल में इस पेंजिया का विखण्डन हो गया तथा जिस टुकड़े का खिंचाव उत्तर की ओर हुआ उसे ‘अंगारा लैंड’ तथा जिसका खिंचाव दक्षिण की ओर हुआ उसे ‘गोंडवाना लैंड’ नाम दिया गया।
– अंगारा लैंड तथा गोंडवाना लैंड के बीच में स्थित जलीय -आकृति को वेगनर ने ‘टेथिस महासागर’ नाम दिया था।
– राज्य की उत्पत्ति में अंगारा लैंड का कोई योगदान नहीं है।
– राजस्थान का उत्तर-पश्चिम मरुस्थलीय प्रदेश टेथिस-महासागर के अवशेष हैं।
– अरावली पर्वतीय प्रदेश व दक्षिण-पूर्वी पठारी भाग गोंडवाना लैंड के अवशेष हैं।
– टेथिस सागर के अवशेष के रूप में ‘सांभर’, ‘डीडवाना’, ‘पचपदरा’ खारे पानी की झीलें तथा समुद्री खनिज के रूप में ‘जिप्सम’, ‘लाइमस्टोन’, ‘लिग्नाइट कोयला’, ‘तेल व प्राकृतिक गैस’ भी इनका अवशेष हैं। पूर्वी-मैदानी भाग भी टेथिस-महासागर का अवशेष हैं।
– राजस्थान में अधिकांशत: स्थलाकृतियों के निर्माण में टेथिस महासागर का योगदान है।
– राजस्थान के भौगोलिक क्षेत्रों का निर्माण ‘मरु’, ‘मेरु’ व ‘माल’ से हुआ है।
मरु– उत्तरी-पश्चिमी मरुस्थलीय प्रदेश
मरु – अरावली पर्वतमाला
माल- हाड़ौती पठार, पूर्वी मैदानी प्रदेश