नमस्कार आज हम राजस्थान की स्थिति, विस्तार, आकृति एवं भौतिक स्वरूप के विषय में अध्ययन करेंगे।
– राजस्थान का नाम आते ही उत्तर-पश्चिमी मरुस्थलीय क्षेत्र, अरावली पर्वतमाला, चम्बल नदी का बहाव क्षेत्र, पठारी प्रदेश व पूर्व का समतल मैदान हमें राजस्थान के बारे में जानने की प्रेरणा देता है।
– राजस्थान के भौगोलिक क्षेत्रों का सर्वप्रथम अध्ययन प्रो.वी.सी. मिश्रा ने किया। उनकी पुस्तक का नाम “राजस्थान का भूगोल” है।
– प्राचीन काल से ही इस भू-भाग को ही ‘ब्रह्मवर्त’, ‘मरुकांतर’,‘राजस्थानीयादित्य’,‘राजपुताना’,‘रायथान’, ‘रजवाड़ा’ व ‘राजस्थान’ आदि नामों से जाना जाता था।
– बसंतगढ़ शिलालेख बसन्तगढ़, सिरोही में खेमल माता के मंदिर के बाहर खुदवाया गया था।
राजपुताना:-
इस शब्द का उल्लेख सर्वप्रथम जॉर्ज थॉमस ने 19वीं सदी के प्रारम्भ (1800 ई.) में किया था।
राजस्थान की स्थिति, विस्तार एवं आकृति:-
– अक्षांश व देशान्तर के अनुसार राजस्थान की स्थिति उत्तरी-पूर्वी गोलार्द्ध में है।
– राजस्थान की स्थिति भारत के अनुसार उत्तरी-पश्चिमी है।
राजस्थान का अक्षांशीय एवं देशांतरीय विस्तार:-
– राजस्थान का अक्षांशीय विस्तार:-
अक्षांश | 23003’उत्तरी अक्षांश | 30012’ उत्तरी अक्षांश |
स्थान | कोणा गाँव (उत्तर) | बोरकुण्डा गाँव (दक्षिण) |
जिला | श्री गंगानगर | बांसवाड़ा |
तहसील | श्री गंगानगर | कुशलगढ़ |
दिशा | उत्तर | दक्षिण |
नोट- राजस्थान का कुल अक्षांशीय विस्तार 70 09’ है। उत्तर से दक्षिण के बीच की दूरी 826 किमी. हैं।
– राजस्थान का देशांतरीय विस्तार:-
देशांतर | 69°30’ पूर्वी देशांतर | 78°17’ पूर्वी देशांतर |
स्थान | कटरा गाँव | सिलाना गाँव |
जिला | जैसलमेर | धौलपुर |
दिशा | पश्चिम | पूर्व |
नोट- राजस्थान का कुल देशांतरीय विस्तार 8°47’ है।
– पूर्व से पश्चिम चौड़ाई 869 किमी. हैं।
– देशांतर रेखाओं को तिथि रेखा या समय रेखा भी कहा जाता है।
1 देशांतर = 4 मिनट
– कर्क रेखा 23 1/2o उत्तरी अक्षांश)
– यह राजस्थान के डूँगरपुर जिले के चिकली गाँव (सिमलवाड़ा तहसील) को छूते हुए बाँसवाड़ा के मध्य से (कुशलगढ़ से होकर) गुजरती है अर्थात यह राजस्थान के दो जिलों से होकर गुजरती है।
– राजस्थान में अक्षांशीय स्थिति की शुरुआत व कर्क रेखा के बीच में केवल 27’ का अन्तर है।
– कर्क रेखा की राजस्थान में कुल लम्बाई 26 किमी. है।
– कर्क रेखा राजस्थान के दक्षिणी भाग में स्थित है जबकि राजस्थान का 99% क्षेत्रफल कर्क रेखा के उत्तरी भाग में स्थित है।
– सूर्य की सीधी किरणें कर्क रेखा पर यानी बाँसवाड़ा जिले (राज्य का दक्षिणतम भाग) में पड़ती हैं, तथा राजस्थान में सर्वाधिक तिरछी किरणें श्रीगंगानगर (राज्य का उत्तरतम भाग) में पड़ती है, क्योंकि कर्क रेखा से जैसे-जैसे हम उत्तर की ओर जाते हैं, वैसे-वैसे सूर्य की किरणें तिरछी पड़ती जाती हैं।
– नोट-
– कुशलगढ़ (बाँसवाड़ा) में 21 जून को सूर्य की किरणें कर्क रेखा पर लम्बवत पड़ती हैं।
– राज्य में सूर्य की सबसे तिरछी किरणें 22 दिसम्बर को पड़ती है।
– वहीं 22 दिसम्बर को सूर्य राजस्थान से अधिकतम दूरी पर होता है।
– माही नदी कर्क रेखा को दो बार काटती है, इसे ‘दक्षिणी राजस्थान की स्वर्ण रेखा’ कहा जाता है।
– राजस्थान में सबसे बड़ा दिन 21 जून को होता है।
– राजस्थान में सबसे बड़ी रात 22 दिसम्बर को होती है।
– 21 मार्च व 23 सितम्बर राज्य में दिन व रात की अवधि बराबर होती है।
– जैसलमेर तथा धौलपुर में सूर्योदय का अन्तर लगभग 36 मिनट का होता है, यह घटना दोनों जिलों के मध्य देशांतरीय स्थिति में अन्तर के कारण गठित होती हैं।
– सर्वप्रथम सूर्योदय व सूर्यास्त- धौलपुर
सबसे बाद में सूर्योदय व सूर्यास्त- जैसलमेर
– राजस्थान का विस्तार:-
– स्थलीय सीमा-
कुल स्थलीय सीमा – 5,920 किमी.
– अन्तर्राष्ट्रीय सीमा – 1,070 किमी.
– अन्तर्राज्यीय सीमा – 4,850 किमी.
– अन्तर्राष्ट्रीय सीमा-
राजस्थान की अन्तर्राष्ट्रीय सीमा पाकिस्तान के साथ लगती है। इस सीमा रेखा को ‘रेडक्लिफ रेखा’ के नाम से जाना जाता है।
– रेडक्लिफ रेखा
इस कृत्रिम अन्तर्राष्ट्रीय सीमा रेखा का नामकरण ब्रिटिश वकील ‘सिरिल रेडक्लिफ’ के नाम पर किया गया था।
– रेडक्लिफ रेखा का निर्धारण 17 अगस्त, 1947 को हुआ।
– रेडक्लिफ रेखा पर भारत के 4 निम्नलिखित राज्य स्थित हैं-
1. जम्मू – कश्मीर
2. पंजाब
3. राजस्थान
4. गुजरात
– रेडक्लिफ लाइन की कुल लम्बाई 3,310 किमी. है, जिसमें से राजस्थान के साथ 1,070 किमी. की सीमा लगती है।
– रेडक्लिफ रेखा का एक–तिहाई भाग राजस्थान के साथ संलग्न है।
– रेडक्लिफ रेखा राजस्थान की कुल सीमा रेखा का 18 प्रतिशत हैं। (1070 किमी.)
– रेडक्लिफ रेखा पर क्षेत्रफल की दृष्टि से राज्य का सबसे बड़ा जिला जैसलमेर है और सबसे छोटा जिला श्रीगंगानगर है।
– इस अन्तर्राष्ट्रीय सीमा रेखा की शुरुआत श्रीगंगानगर जिले के हिन्दूमल कोट से होती हैं।
– इस अन्तर्राष्ट्रीय सीमा रेखा का अंत बाड़मेर (भागल गाँव, बाखासर) जिले में होता है।
– राजस्थान के 4 जिले अन्तर्राष्ट्रीय सीमा रेखा पर स्थित हैं जो कि निम्नलिखित हैं-
1. | श्रीगंगानगर | 210 किमी. |
2. | बीकानेर | 168 किमी. (न्यूनतम) |
3. | जैसलमेर | 464 किमी. (सर्वाधिक) |
4. | बाड़मेर | 228 किमी. |
– राजस्थान की उत्तर-पश्चिम सीमा पाकिस्तान के साथ अन्तर्राष्ट्रीय-सीमा का निर्धारण करती है।
– अन्तर्राष्ट्रीय सीमा पर स्थित जिलों में-
सबसे नजदीक जिला मुख्यालय- श्रीगंगानगर
सबसे दूर जिला मुख्यालय- बीकानेर
– अन्तर्राज्यीय सीमा-
– राजस्थान राज्य की स्थलीय सीमा (अन्तर्राज्यीय सीमा) निम्नलिखित 5 राज्यों के साथ लगती है।
उत्तर | पंजाब |
उत्तर-पूर्व | हरियाणा |
पूर्व | उत्तर प्रदेश |
दक्षिण-पूर्व | मध्य प्रदेश |
दक्षिण-पश्चिम | गुजरात |
– इस अन्तर्राज्यीय सीमा की कुल लम्बाई 4,850 किमी. है।
अन्तर्राज्यीय सीमा (अवरोही क्रम में)-
राज्य | संलग्न सीमा |
मध्यप्रदेश | 1600 किमी. (सर्वाधिक) |
हरियाणा | 1262 किमी. |
गुजरात | 1022 किमी. |
उत्तरप्रदेश | 877 किमी. |
पंजाब | 89 किमी. (न्यूनतम) |
कुल अन्तर्राज्यीय सीमा | 4850 किमी. |
1. पंजाब राज्य-
– यह राजस्थान के साथ 89 किमी. सीमा साझा करता है।
– राजस्थान के दो जिले- श्रीगंगानगर व हनुमानगढ़ पंजाब राज्य की सीमा पर स्थित है।
– श्रीगंगानगर की सीमा – सर्वाधिक
हनुमानगढ़ की सीमा- न्यूनतम
– पंजाब के दो जिले राजस्थान के साथ सीमा साझा करते हैं-
1.फाजिल्का
2. मुक्तसर साहिब।
– पंजाब की सीमा से दूर जिला मुख्यालय श्रीगंगानगर है।
2. हरियाणा राज्य-
– यह राज्य राजस्थान के साथ 1,262 किमी. की सीमा साझा करता है।
– राजस्थान के 7 जिले हरियाणा के साथ सीमा साझा करते हैं- (हनुमानगढ़, चूरू, झूंझुनू, सीकर, जयपुर, अलवर, भरतपुर)
– हनुमानगढ़ की सीमा- सर्वाधिक
– जयपुर की सीमा- न्यूनतम
3. उत्तर प्रदेश राज्य-
– उत्तर प्रदेश राज्य राजस्थान के साथ 877 किमी. की सीमा साझा करता है।
– उत्तर प्रदेश के साथ राजस्थान के 2 जिले सीमा साझा करते हैं-
(भरतपुर, धौलपुर)
भरतपुर की सीमा – सर्वाधिक
धौलपुर की सीमा – न्यूनतम
– उत्तर प्रदेश के 2 जिले राजस्थान के साथ अपनी सीमा साझा करते हैं-
1. मथुरा
2. आगरा
4. मध्य प्रदेश राज्य-
– मध्य प्रदेश राज्य राजस्थान के साथ 1,600 किमी. की सीमा साझा करता है।
– राजस्थान के 10 जिले मध्य प्रदेश के साथ सीमा साझा करते हैं- (धौलपुर, करौली, सवाई माधोपुर, कोटा, बाराँ, झालावाड़, चित्तौड़गढ़, भीलवाड़ा, प्रतापगढ़, बाँसवाड़ा)
– झालावाड़ की सीमा- सर्वाधिक
भीलवाड़ा की सीमा- न्यूनतम
– कोटा मध्य प्रदेश के साथ में दो बार सीमा बनाता है-
1. सवाई माधोपुर व बाराँ के मध्य।
2. झालावाड़ व चित्तौड़गढ़ के मध्य।
5. गुजरात राज्य-
– गुजरात राज्य राजस्थान के साथ 1,022 किमी. की सीमा बनाता है।
– राजस्थान के 6 जिले गुजरात के साथ सीमा साझा करते हैं- (बाँसवाड़ा, डूँगरपुर, उदयपुर, सिरोही, जालौर व बाड़मेर)
– उदयपुर की सीमा– सर्वाधिक
बाड़मेर की सीमा– न्यूनतम
– राजस्थान का निकटतम बंदरगाह- कांडला बंदरगाह (गुजरात)
– नोट- राजस्थान के 25 जिले अन्तर्राज्यीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय सीमा साझा करते हैं।
– राजस्थान के 4 ऐसे जिले हैं जो दो-दो राज्यों के साथ सीमा बनाते हैं-
हनुमानगढ़ – पंजाब और हरियाणा के साथ
भरतपुर – हरियाणा और उत्तर प्रदेश के साथ
धौलपुर – उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के साथ
बाँसवाड़ा – मध्य प्रदेश और गुजरात के साथ
– राजस्थान के 2 जिले अन्तर्राज्यीय व अन्तर्राष्ट्रीय सीमा पर स्थित हैं-
श्रीगंगानगर – पाकिस्तान और पंजाब
बाड़मेर -पाकिस्तान और गुजरात
– राजस्थान के 8 ऐसे जिले हैं जिनकी सीमा किसी भी राष्ट्र तथा राज्य से नहीं लगती है। वे निम्नलिखित हैं- जोधपुर, पाली, नागौर, अजमेर, टोंक, दौसा, राजसमन्द, बूँदी।
– राजस्थान के ऐसे जिले जो केवल अन्तर्राज्यीय सीमा साझा करते हैं– 21 जिले
– राजस्थान के ऐसे जिले जो केवल अन्तर्राष्ट्रीय सीमा बनाते हैं– बीकानेर और जैसलमेर।
– राजस्थान के संभाग –
– वर्तमान में राजस्थान में 7 संभाग है।
– नवीनतम संभाग- भरतपुर (इसकी घोषणा तत्कालीन मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे सिंधिया द्वारा 04 जून, 2005 की गई।)
– जिले के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी को जिला कलक्टर पदनाम से संबोधित किया जाता है।
– संभाग स्तर पर मुख्य प्रशासनिक अधिकारी को संभागीय आयुक्त के पदनाम से संबोधित किया जाता है।
– सर्वाधिक अन्तर्राष्ट्रीय सीमा बनाने वाला संभाग- जोधपुर।
– न्यूनतम अन्तर्राष्ट्रीय सीमा बनाने वाला संभाग- बीकानेर।
– सर्वाधिक अन्तर्राज्यीय सीमा बनाने वाला संभाग – उदयपुर।
– न्यूनतम अन्तर्राज्यीय सीमा बनाने वाला संभाग – अजमेर।
– अन्तर्राज्यीय सीमा पर क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़ा संभाग – जोधपुर।
– दो बार अन्तर्राज्यीय सीमा बनाने वाला संभाग – उदयपुर। (गुजरात और मध्य प्रदेश)
– सर्वाधिक तीन राज्यों से सीमा साझा करने वाला संभाग – भरतपुर। (हरियाणा, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश)
– राज्य का मध्यवर्ती संभाग – अजमेर।
– सर्वाधिक नदियों वाला संभाग – कोटा।
– सबसे कम नदियों वाला संभाग – बीकानेर।
नोट- अप्रैल, 1962 को तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री मोहनलाल सुखाड़िया ने संभागीय व्यवस्था को समाप्त कर दिया तथा 26 जनवरी, 1987 को हरदेव जोशी ने संभागीय व्यवस्था को पुन: शुरू किया और अजमेर को छठा संभाग बनाया।
क्र.स. | संभाग | जिले के नाम | क्षेत्रफल(वर्ग किमी.) | जनसंख्या (लाख में) | विशेष विवरण |
1. | जयपुर | जयपुर, सीकर, झुंझुनूं,अलवर, दौसा | 36,615 | 167.90 | सर्वाधिक जनसंख्या, सर्वाधिक घनत्वसर्वाधिक अनुसूचित जाति प्रतिशत जनसंख्या,सर्वाधिक साक्षरता – 72.99%राज्य का उत्तर-पूर्वी संभाग। |
2. | जोधपुर | जोधपुर, पाली, जालौर, सिरोही, बाड़मेर, जैसलमेर | 1,17,800 | 118.68 | सर्वाधिक क्षेत्रफल, सर्वाधिक दशकीय जनसंख्या वृद्धि दर, सबसे कम साक्षरता – 59.57% राज्य का पश्चिमी संभाग। |
3. | बीकानेर | बीकानेर, चूरू, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़ | 64,708 | 81.58 | सर्वाधिक अनुसूचित जाति जनसंख्या प्रतिशत, राज्य का उत्तरी संभाग। |
4. | अजमेर | अजमेर, नागौर, भीलवाड़ा, टोंक | 43,848 | 97.26 | राज्य का मध्वर्ती संभाग। |
5. | उदयपुर | उदयपुर, डूँगरपुर, बाँसवाड़ा, राजसमंद, चित्तौड़गढ़, प्रतापगढ़ | 36,942 | 98.25 | सर्वाधिक अनुसूचित जनजाति, सर्वाधिक लिंगानुपात, दक्षिणी संभाग। |
6. | कोटा | कोटा, बूँदी, झालावाड, बाराँ | 24,204 | 56.99 | न्यूनतम जनसंख्या, सर्वाधिक नदियाँ, राज्य का दक्षिण-पूर्वी सभांग। |
7. | भरतपुर | भरतपुर, धौलपुर, करौली, सवाई माधोपुर | 18,122 | 65.52 | न्यूनतम क्षेत्रफल, न्यूनतम लिंगानुपात, राज्य का पूर्वी संभाग। |
राजस्थान के भौगोलिक विशेषताओं वाले क्षेत्र एवं उनके उपनाम
ढूँढाड़-
– आधुनिक जयपुर के पास बहने वाली ढूँढ नदी के समीपवर्ती भाग को ढूँढाड़ के नाम से जाना जाता है।
देशहरो-
– जरगा और रागा के बीच पहाड़ी भाग जो वर्ष भर हरा-भरा रहता है, इसलिए इस प्रदेश को देशहरो कहा जाता था।
छप्पन का मैदान-
– प्रतापगढ़ एवं बाँसवाड़ा के मध्य भू-भाग को छप्पन का मैदान कहा जाता है, क्योंकि इस भू-भाग में छप्पन गाँवों अथवा नदी-नालों का समूह है।
– उपरमाल का पठार- मुख्य रूप से भैंसरोड़गढ़ (चित्तौड़गढ़) एवं बिजौलिया (भीलवाड़ा) के मध्य का पठारी भू-भाग।
कांठल-
– प्रतापगढ़ के आसपास का क्षेत्र माही नदी के किनारे होने के कारण इसका नाम कांठल पड़ा।
गिरवा-
– उदयपुर, के आसपास पहाड़ियों से घिरे भाग को गिरवा कहते हैं जिसका सामान्य अर्थ पहाड़ियों की मेखला है।
भौमठ-
– डूँगरपुर, पूर्वी सिरोही व उदयपुर जिलों का आदिवासी क्षेत्र।
शेखावाटी-
– झूंझुनूँ, चूरू, सीकर, जिलों को शेखावाटी के नाम से जाना जाता है।
गुर्जर प्रदेश– जोधपुर और पाली का क्षेत्र।
वल्ल और दुंगल– बाड़मेर, जैसलमेर, चित्तौड़गढ़ क्षेत्र।
स्वर्णगिरी– जालौर का क्षेत्र।
थली– चूरू, सरदारशहर का क्षेत्र।
मेवल व देवलिया-
– बाँसवाड़ा और डूँगरपुर के मध्य का पहाड़ी क्षेत्र है। मेव (डूंगर पहाड़ी) स्थित होने के कारण।
मत्स्य प्रदेश-
– अलवर, भरतपुर, धौलपुर व करौली जिले का पूर्वी भाग।
यौद्धेय-
– श्रीगंगानगर व हनुमानगढ के निकट का प्रदेश।
शौरसेन-
– भरतपुर, करौली, धौलपुर का क्षेत्र।
शिवी-
– उदयपुर, चित्तौड़गढ़ का क्षेत्र।
वागड़-
– डूँगरपुर, बाँसवाड़ा का क्षेत्र।
अहिच्छत्रपुर-
– नागौर के चारों ओर का क्षेत्र।
राजस्थान की उत्पत्ति
– पेंजिया–
यह नाम अल्फ्रेड वेगनर नें महाद्वीपीय सिद्धान्त की खोज के दौरान दिया था। वेगनर के अनुसार पेंजिया महाद्वीपों के संयुक्त रूप को कहा जाता है जो कालान्तर में दो भागों में विभक्त हो गया है।
1. अंगारा लैण्ड (लोरेंशिया)- यह पेंजिया का उत्तरी भाग है।
2. गौड़वाना लैण्ड – यह पेंजिया का दक्षिणी भाग है।
– पैंथालासा-
अल्फ्रेड वेगनर नें महासागरों के संयुक्त रूप को पैंथालासा की संज्ञा दी एवं इसका मूलाधार प्रशांत महासागर को माना। पेंजिया के चारों ओर विस्तृत जलराशि को पैंथालासा कहा गया।
– टैथिस सागर-
– यह सागर एक भू-सन्नति का रूप है जो अंगारा लैंण्ड (लौंरेंशिया) एवं गौड़वाना भूमी के मध्य में स्थित था।
– गौड़वाना लैण्ड से राजस्थान के हाड़ौती पठार एवं अरावली पर्वत श्रेणी का निर्माण हुआ है, जबकि टैथिस सागर से पश्चिम मरुस्थल एवं मैदानों का निर्माण हुआ है।
– अरावली पर्वतमाला एवं हाड़ौती का पठार प्रायद्वीपीय पठार का हिस्सा माना गया है, वहीं पश्चिम मरुस्थल एवं मैदानी भाग को भारत के उत्तरी विशाल मैदान का हिस्सा माना गया है।
– राजस्थान की उत्पति में अंगारा लैण्ड का कोई योगदान नहीं है।
– राजस्थान के भौगौलिक क्षेत्र का निर्माण ‘मरु’, ‘मेरु’ व ‘माल’ से हुआ है।
मरु | उत्तरी-पश्चिम मरुस्थलीय प्रदेश |
मेरु | अरावली पर्वत श्रेणी |
माल | पूर्वी मैदानी भाग व हाड़ौती पठार |