Tatpurush Samas – तत्पुरुष समास की परिभाषा, भेद, उदाहरण

नमस्कार आज हम हिन्दी व्याकरण के महत्वपूर्ण अध्याय मे से एक Tatpurush Samas तत्पुरुष समास के बारे मे अध्ययन करेंगे । इस अध्ययन के दौरान हम Tatpurush Samas – तत्पुरुष समास की परिभाषा, भेद, उदाहरण के बारे मे चर्चा करेंगे ।

तत्पुरुष समास की परिभाषा (tatpurush samas ki paribhasha)

जिस समास में उत्तर पद अर्थात् दूसरा पद प्रधान हो तत्पुरुष समास कहलाता है। इसकी पहचान यह है कि समास विग्रह करने पर विभक्ति चिह्न नजर आते हैं। कर्त्ताता और सम्बोधन को छोड़कर अन्य कारक चिह्नों के आधार पर इन्हें कर्म तत्पुरुष, करण तत्पुरुष आदि कहा जाता है।

Tatpurush Samas - तत्पुरुष समास की परिभाषा|भेद, उदहारण

तत्पुरुष समास के भेद (tatpurush samas ke bhed)

सामन्यता हमारे मन में एक प्रश्न होता है की तत्पुरुष समास के भेद कितने होते हैं ? चलिए आइये जानते हैं :-

(1) कर्म तत्पुरुष (‘को’) का लोप

कर्म तत्पुरुष समास के उदाहरण

जितेंद्रिय इंद्रियो को जीतने वाला
विद्याधरविद्या को धारण करने वाला
जेबकतराजेब को काटने वाला
विकासोन्मुखविकास को उन्मुख
मनोहरमन को हरने वाला
सिद्धिप्राप्तसिद्धि को प्राप्त
शरणागतशरण को गया हुआ
वयप्राप्तवय को प्राप्त
स्वर्गप्राप्तस्वर्ग को प्राप्त
कष्टापन्नकष्ट को आपन्न (प्राप्त)
गृहागतगृह को आगत
विरोध जनकविरोध को जन्म देना वाला
मुँहतोड़मुँह को तोड़ने वाला
यश प्राप्तयश को प्राप्त
तर्कसंगततर्क को संगत
ख्याति प्राप्तख्याति को प्राप्त

(2) करण तत्पुरुष (से, के द्वारा)के लोप से बनने वाले

हस्तलिखित हस्त द्वारा लिखित
बिहारीरचितबिहारी द्वारा रचित
मनमानामन से माना
शोकातुरशोक से आतुर
करुणापूर्णकरुणा से पूर्ण
शोकाकुलशोक से आकुल
जलसिक्तजल से सिक्त
पददलितपद से दलित
देश निकालादेश से निकाला
अकालपीड़िताअकाल से पीड़िता 
हृदयहीनहृदय से हीन
प्रेमसिक्त           प्रेम से सिक्त
रणविमुखरण से विमुख
कृष्णार्पणकृष्ण के लिए अर्पण
वज्राहतवज्र से आहत
भुखमराभूख से मरा
श्रमजीवीश्रम से जीने वाला
शोकाकुलशोक से आकुल
मेघाच्छन्नमेघ से आछन्न
पददलितपद से दलित
महिमामंडितमहिमा से मंडित
वाग्युद्धवाक् से युद्ध
आचारकुशलआचार से कुशल
नीतियुक्तनीति से युक्त
मुँहमाँगामुँह से माँगा
रेखांकितरेखा के द्वारा अंकित
जग-हँसाईजग के द्वारा हँसी
लोक सत्यलोक द्वारा सत्य
क्रियान्वितिक्रिया के द्वारा अन्विति
मोहांधमोह से अंधा

(3) संप्रदान तत्पुरुष (के लिए) के लोप से बनने वाला

परीक्षाभवन परीक्षा के लिए भवन
स्नानघरस्नान के लिए घर
छात्रावासछात्रों के लिए आवास
मार्गव्ययमार्ग के लिए व्यय
युद्धक्षेत्रयुद्ध के लिए क्षेत्र
भूतबलिभूतों के लिए बलि
भण्डारघरभण्डार के लिए घर
हवनकुण्डहवन के लिए कुण्ड
पुत्रशोकपुत्र के लिए शोक
देशभक्तिदेश के लिए भक्ति
देवालयदेव के लिए आलय
बालामृतबालकों के लिए अमृत
पाकशालापाक के लिए शाला
सत्याग्रहसत्य के लिए आग्रह
यज्ञशालायज्ञ के लिए शाला
रंगमंच  रंग के लिए मंच
देवार्पण देव के लिए अर्पण
विधानसभाविधान के लिए सभा
सभामंडपसभा के लिए मंडप
रसोई घररसोई के लिए घर
घुड़सालघोड़ो के लिए साल (भवन)
हथकड़ीहाथ के लिए कड़ी
गुरुदक्षिणा गुरु के लिए दक्षिणा

(4) अपादान तत्पुरुष (से) अलग होने के अर्थ में

बंधन मुक्तबंधन से मुक्त
पदच्युतपद से च्युत
पथभ्रष्ट पथ से भ्रष्ट
धर्मविमुखधर्म से विमुख
स्थानच्युतस्थान से च्युत
ईश्वरविमुखईश्वर से विमुख
शक्तिहीनशक्ति से हीन
लक्ष्यभ्रष्टलक्ष्य से भ्रष्ट
सेवानिवृतसेवा से निवृत
लाभरहितलाभ से रहित
कर्त्तव्यविमुखकर्त्तव्य से विमुख
लोकविरूद्धलोक से विरूद्ध
नेत्रहीननेत्र से हीन
स्थानभ्रष्टस्थान से भ्रष्ट
भयभीतभय से भीत
ऋणमुक्तऋण से मुक्त
देश निकालादेश से निकाला हुआ

(5) संबंध तत्पुरुष  (का,के, की) के लोप से बनने वाला

गंगाजलगंगा का जल
अन्नदानअन्न का दान 
राजभवनराजा का भवन
विद्यासागरविद्या का सागर
गुरुसेवागुरु की सेवा
राजदरबारराजा का दरबार
मृगछौनामृग का छौना
चरित्रचित्रणचरित्र का चित्रण
चन्द्रोदयचन्द्र का उदय
राष्ट्रपतिराष्ट्र का पति
गृहस्वामीगृह का स्वामी
कूपजलकूप का जल
लखपतिलाखों का पति
राजकन्याराजा की कन्या
पितृभक्तपिता का भक्त
राजकुमारराजा का कुमार
सेनापतिसेना का पति
गोदान   गो का दान
प्रेमोपासकप्रेम का उपासक
रामोपासकराम का उपासक
अनारदानाअनार का दाना
विभाध्यक्षविभाग का अध्यक्ष
राजपुरूषराजा का पुरूष
घुड़दौड़ घोड़ों की दौड़
पर्णशालापर्णों की शाला
सूर्योदयसूर्य का उदय
जगन्नाथजगत् का नाथ
चंद्रोदयचंद्र का उदय
मतदातामत का दाता
मंत्रिपरिषद्मंत्रियों की परिषद
सत्रावसानसत्र का अवसान
अछूतोद्धारअछूतों का उद्धार
मनः स्थितिमन की स्थिति
प्राणाहुतिप्राणों की आहुती
मनोविकारमन का विकार
रामायणराम का अयन
पुस्तकालयपुस्तक का आलय
चर्मरोगचर्म का रोग
रंगभेदरंग का भेद
रूपांतररूप का अंतर
पथपरिवहनपथ का परिवहन
मंत्रिपरिषद्मत्रियों की परिषद्

(6) अधिकरण तत्पुरुष (में,पर) का लोप

वीरश्रेष्ठवीरों में श्रेष्ठ
जलमग्नजल में मग्न
सिंहासनारुढ़सिंहासन पर आरुढ़
शरणागतशरण में आगत
विश्वविख्यातविश्व में विख्यात
क्षत्रियाधमक्षत्रियों में अधम
व्यवहारकुशलव्यवहार में कुशल
नरोत्तम नरों में उत्तम
क्षत्रियाधमक्षत्रियों में अधम
आत्मनिर्भरआत्म पर निर्भर
शास्त्रप्रवीणशास्त्रों में प्रवीण
गृहप्रवेश           गृह में प्रवेश
ग्रामवास           ग्राम में वास
नराधम नरों में अधम
कार्यकुशलकार्य में कुशल
कविश्रेष्ठकवियों में श्रेष्ठ
मुनिश्रेष्ठमुनियों में श्रेष्ठ
हरफनमौलाहर फन में मौला
आत्मनिर्भरआत्म पर निर्भर
तर्ककुशलतर्क में कुशल
लोकप्रियलोक में प्रिय
कर्मनिष्ठकर्म में निष्ठ
वाग्वीरवाक् (बोलने) में वीर
सर्वोत्तमसर्व में उत्तम
मुनिश्रेष्ठ            मुनियों में श्रेष्ठ
कविराजकवियों में राजा
धर्मरतधर्म में रत
कानाफूसीकान में फुसफुसाहट
वनवासवन में वास
ध्यानमग्नध्यान में मग्न

(7) नञ तत्पुरुष

नञ तत्पुरुष समास के अंतर्गत पहला खंड नकारात्मक अर्थात् न, ना, अ अथवा अन् उपसर्ग होता है। इस समास से अभाव या निषेध का अर्थ प्रतीत होता है। 

नञ तत्पुरुष समास के उदाहरण

अयोग्यन योग्य
अनाथन नाथ
अपठितन पठित
नालायकन लायक
अपरिचितन परिचित
असभ्यन सभ्य
अनादिन आदि
असंभवन संभव
अनंतन अंत

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FAQ

तत्पुरुष समास के उदाहरण क्या है?

मूर्ति को बनाने वाला — मूर्तिकार काल को जीतने वाला — कालजयी राजा को धोखा देने वाला — राजद्रोही खुद को मारने वाला — आत्मघाती

तत्पुरुष समास को कैसे पहचाने?

जिस समस्तपद में ‘पूर्वपद’ गौण तथा उत्तरपद’ प्रधान होता है, वहाँ तत्पुरुष समास होता है।

तत्पुरुष कितने प्रकार के होते हैं?

7

कर्म तत्पुरुष समास क्या है?

जिस समास का उत्तरपद अर्थात अंतिम पद प्रधान हो और पूर्वपद गौण एवं ‘को’ चिह्न का लोप हो वहां कर्म तत्पुरुष समास होता है।

तत्पुरुष समास से सम्बंधित प्रश्न (tatpurush samas)

Q.16
विशेषण और विशेष्य के योग से कौन-सा समास बनता है?

1
कर्मधारय समास

2
द्विगु समास

3
द्वन्द्व समास

4
तत्पुरुष समास

Q.17
‘मनमाना’ समास शब्द का समास विग्रह होगा-

1
मन ही मन में

2
मन से माना

3
मनपसन्द

4
मन के अनुसार

Solution
मनमाना = मन से माना (करण तत्पुरुष समास)।

  • करण तत्पुरुष समास – करण कारक के चिह्न- ‘से/के द्वारा’ के लोप से बनने वाला समास;

जैसे- ईश्वरदत्त= ईश्वर के द्वारा दत्त।

Q.18
‘महाकवि’ समास पद का समास-विग्रह होगा-

1
कवियों में महान

2
कवियों का कवि

3
महान है जो कवि

4
कवियों में राजा

Solution
महाकवि = महान है जो कवि (कर्मधारय समास)
कर्मधारय समास:- ‘दूसरा पद प्रधान’ इस समास में विशेषण और विशेष्य अर्थात् उपमान और उपमेय के अर्थ बोध होता है।

Q.19
भरपेट शब्द में कौन-सा समास है?

1
अव्ययीभाव समास

2
द्विगु समास

3
कर्मधारय समास

4
तत्पुरुष समास

Solution

  • ‘भरपेट’ में अव्ययीभाव समास है। भरपेट का समास विग्रह इस प्रकार है– पेट भरकर। अव्ययीभाव समास के अन्य उदाहरण इस प्रकार हैं– आजीवन, यथाशक्ति, यथायोग्य, भागमभाग इत्यादि।

Q.20
‘कामचोर’ समास रूप का सही समास-विग्रह होगा –

1
काम-धन्धा न होना

2
काम से जी चुराने वाला

3
कोई काम नहीं करना

4
काम देखकर मुँह फेरना

Solution
कामचोर-काम से जी चुराने वाला (अपादान तत्पुरुष समास)

  • अपादान तत्पुरुष समास – अपादान कारक चिह्न से (अलग होने के अर्थ में) के लोप से बनने वाला समास; जैसे – शोभाहीन – शोभा से हीन, पथभ्रष्ट = पथ से भ्रष्ट आदि।

Q.21
किस विकल्प में संबंध तत्पुरुष समास है?

1
असत्य

2
बैलगाड़ी

3
दिलतोड़

4
चाय-बागान

Solution
चाय – बागान = चाय के बागान (सम्बन्ध तत्पुरुष समास)।

  • सम्बन्ध तत्पुरुष समास – संबंध कारक चिह्न – ‘का, के, की’ – के लोप से बनने वाला समास; जैसे – भारतवासी – भारत का वासी, नर-बलि – नर की बलि आदि।
  • असत्य – सत्य नहीं (अव्ययीभाव समास) नञ् तत्पुरुष समास का उदाहरण भी अगर अव्ययीभाव समास न दिया हो तो।
  • बैलगाड़ी – बैल से चलने वाली गाड़ी (लुप्त पद तत्पुरुष समास)
  • दिलतोड़–दिल को तोड़ने वाला (कर्म तत्पुरुष समास)

Q.22
सम्प्रदान तत्पुरुष समास का उदाहरण है :-

1
यशप्राप्त

2
प्रतिपल

3
पथपरिवहन

4
समाचार-पत्र

Q.23
निम्नलिखित में से किस में द्विगु समास नहीं है?

1
आमरण

2
त्रिफला

3
षड‌‌्ऋतु

4
नवनिधि

Q.24
निम्नलिखित में से किस विकल्प में अव्ययीभाव समास नहीं है?

1
टालमटोल

2
इच्छानुसार

3
पथभ्रष्ट

4
दिनभर

Solution

  • त्रिभुवन – तीन भुवन (संसार) का समाहार (द्विगु समास)
  • नीरोग, साफ-साफ, भरपूर में अव्ययीभाव समास है।
    अव्ययीभाव समास:-
    (i)पहला पद प्रधान होता है।
    (ii) पहला पद या पूरा पद अव्यय होता है।
    (वे शब्द जो लिंग, वचन, कारक के अनुसार नहीं बदलते, उन्हें अव्यय कहते हैं।)
    (iii) यदि एक शब्द की पुनरावृत्ति हो और दोनों शब्द मिलकर अव्यय की तरह प्रयुक्त हो, वहाँ भी अव्ययी समास होता है।
    (iv) संस्कृत के उपसर्ग युक्त पद भी अव्ययीभाव समास होते हैं।

Q.25
किस विकल्प में बहुव्रीहि समास नहीं है?

1
रमापति

2
त्रिलोचन

3
षडानन

4
सप्ताह

Solution
-सप्ताह = सात दिनों का समूह (द्विगु समास)

  • द्विगु समास:-
    (i) द्विगु समास ने प्राय: पूर्व पद संख्या वाचक होता है तो कभी – कभी परपद भी संख्यावाचक देखा जा सकता है।
    (ii) द्विगु समास में प्रयुक्त संख्या किसी समूह का बोध कराती है अन्य अर्थ का नहीं, जैसे कि बहुव्रीहि समास में देखा जाता है।
    जैसे – तिरंगा, सतरंग आदि।
  • रमापति = रमा का पति है जो – विष्णु(बहुव्रीहि समास)
  • त्रिलोचन = तीन है लोचन (आँखें) जिनकी – शिव(बहुव्रीहि समास)
  • षडानन = षट् (छह) है आनन (मुँह)
    जिसके, वह स्वामी कार्तिकेय(बहुव्रीहि समास)

नमस्कार, मेरा नाम अजीतपाल हैं। मैंने हिंदी साहित्य से स्नातक किया है। मेरा शुरूवात से ही हिंदी विषय के प्रति लगाव होने के कारण मैंने हिंदी विषय के बारे में लेखन का कार्य आरभ किया। हाल फ़िलहाल में Pathatu एजुकेशन प्लेटफार्म के लिए लेखन का कार्य कर रहा हूँ।

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