नमस्कार आज हम राजस्थान पॉलिटी के महत्वपूर्ण अध्याय में से एक राजस्थान राज्य सूचना आयोग (Rajasthan Information Commission) के बारे में अध्ययन करेंगे।
राजस्थान राज्य सूचना आयोग की पृष्ठभूमि –
– सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 15 के तहत् राजस्थान राज्य सूचना आयोग का गठन किया गया।
– राजस्थान राज्य सूचना आयोग का गठन दिनांक 13 अप्रैल, 2006 को किया गया।
– राजस्थान राज्य सूचना आयोग का मुख्यालय जयपुर में स्थित है।
राज्य सूचना आयोग की संरचना Rajasthan Information Commission
– इस आयोग में एक मुख्य आयुक्त एवं अन्य सूचना आयुक्त होते हैं जिसकी संख्या 10 से अधिक नहीं होनी चाहिए।
नियुक्ति
– इनकी नियुक्ति राज्यपाल द्वारा एक समिति की सिफारिश के आधार पर की जाती है। इस समिति में मुख्यमंत्री, एक कैबिनेट मंत्री (अधिकांशत: गृहमंत्री) तथा विधानसभा में विपक्ष का नेता शामिल होते हैं।
कार्यकाल
– राज्य मुख्य सूचना आयुक्त एवं अन्य राज्य सूचना आयुक्त तीन वर्ष या 65 वर्ष की आयु (दोनों में से जो भी पहले हो) तक पद पर बने रह सकते हैं।
नोट – इन्हें पुनर्नियुक्ति की पात्रता नहीं होती है।
पद पर नियुक्ति की शर्तें
– इस आयोग का अध्यक्ष एव सदस्य बनने वाले सदस्यों में सार्वजनिक जीवन का पर्याप्त अनुभव होना चाहिए।
– उन्हें संसद या किसी राज्य विधानमंडल का सदस्य नहीं होना चाहिए।
पद से हटाया जाना
– राज्यपाल मुख्य सूचना आयुक्त एवं अन्य राज्य सूचना आयुक्तों को निम्न प्रकारों से उनके पद से हटा सकता है-
i. वह दिवालिया घोषित हो गया हो।
ii. किसी अपराध के संबंध में दोषी करार दिया गया हो (राज्यपाल की नजर में)
iii. कार्यकाल के दौरान लाभ का पद धारण करता हो।
iv. अपने कार्यों के निर्वहन में असमर्थ हो।
– इसके अलावा राज्यपाल आयोग के अध्यक्ष एवं अन्य सदस्यों को सिद्ध कदाचार या अक्षमता के आधार पर भी पद से हटा सकते हैं।
– राज्य के मुख्य सूचना आयुक्त के वेतन, भत्ते एवं अन्य सेवा शर्तें निर्वाचन आयुक्त के समान होते हैं।
– उनके सेवाकाल में उनके वेतन-भत्तों एवं अन्य सेवा शर्तों में कोई अलाभकारी परिवर्तन नहीं किया जा सकता है।
– राज्यपाल को संबोधित करके अपना त्यागपत्र देते हैं।
राज्य सूचना आयोग के कार्य एवं शक्तियाँ
– आयोग का यह दायित्व है कि वे किसी व्यक्ति से प्राप्त निम्न जानकारियों एवं शिकायतों का निराकरण करें-
- जन-सूचना अधिकारी की नियुक्ति न होने के कारण किसी सूचना को प्रस्तुत करने में असमर्थ रहा हो।
- उसे चाही गई जानकारी देने से मना कर दिया गया हो।
- उसे चाही गई जानकारी निर्धारित समय में प्राप्त न हो पाई हो।
- यदि उसे लगता हो कि सूचना के एवज में मांगी फीस सही नहीं है।
- यदि उसे लगता है कि उसके द्वारा मांगी गई सूचना अपर्याप्त, झूठी या भ्रामक है।
- सूचना प्राप्ति से संबंधित कोई अन्य मामला।
– यदि किसी ठोस आधार पर कोई मामला प्राप्त होता है तो आयोग ऐसे मामलें की जाँच का आदेश दे सकता है।
– जब कोई लोक प्राधिकारी इस अधिनियम का पालन नहीं करता है तो आयोग इस संबंध में आवश्यक कार्यवाही कर सकता है। ऐसे कदम उठा सकता है जो इस अधिनियम का अनुपालना सुनिश्चित करें।
– राजस्थान राज्य सूचना आयोग में परिवाद की जाँच करते समय दीवानी न्यायालय की शक्तियाँ प्राप्त होती है जो निम्न प्रकार है–
- आयोग किन्हीं व्यक्तियों को समन जारी कर सकता है और उन्हें अपने सामने उपस्थित कर सकता है तथा मौखिक या लिखित साक्ष्य देने के लिए और दस्तावेज या अन्य चीजें पेश करने के लिए उनको विवश कर सकता है।
- दस्तावेज के प्रकटीकरण और निरीक्षण की अपेक्षा करना।
- शपथ पत्र पर साक्ष्य को अभिग्रहण करना।
- किसी न्यायालय या कार्यालय से किसी लोक अभिलेख या उसकी प्रतियाँ मंगाना।
- साक्षियों या दस्तावेजों की परीक्षा के लिए समन जारी करना।
- कोई अन्य विषय, जो विहित किया जाए।
राज्य सूचना आयोग की अपीलीय शक्तियाँ –
– सूचना का अधिकार अधिनियम 19(1) के अंतर्गत प्रथम अपील प्राधिकारी के द्वारा दिए गए निर्णय के विरूद्ध द्वितीय अपील सुनने का अधिकार धारा 19(3) के अन्तर्गत राजस्थान राज्य सूचना आयोग को प्राप्त है।
– राजस्थान राज्य सूचना आयोग के समक्ष प्रथम अपील के विनिश्चय के विरूद्ध द्वितीय अपील उस तारीख से, जिसकों विनिश्चय किया जाना चाहिए था या वास्तव में विनिश्चय प्राप्त किया गया था या निर्धारित समयावधि में विनिश्चय नहीं होने अथवा विनिश्चय से असंतुष्टि की स्थिति की स्थिति में, 90 दिवस के भीतर की जा सकती है। इस अवधि के गुजरने के बाद भी यदि सूचना आयोग अपीलार्थी के द्वारा बताए गए विलम्ब के कारण से संतुष्ट है तो अपील सुनवाई हेतु दर्ज की जा सकती है।
– यदि अपलील में सुनवाई की कार्यवाही के दौरान जिस लोक सूचना अधिकारी के निर्णय के विरुद्ध अपील की सुनवाई की जा रही है आवेदन की अस्वीकृति के औचित्य के प्रमाणीकरण का भार संबंधित राज्य लोक सूचना अधिकारी का होता है।
समयबद्धता
– लोक सूचना अधिकारी को 30 दिन का समय सूचना उपलब्ध कराने हेतु प्रतिपादित किया गया है।
– लोक सूचना अधिकारी यदि 30 दिन के बाद सूचना देता है तो वह नागरिक से फीस लेने का अधिकारी नहीं है।
– प्रथम अपीलीय अधिकारी यदि 30 दिन में अपील का निर्णय नहीं करता जिसमें 15 दिन की बढ़ोतरी समुचित कारणों से की जा सकती है तो नागरिक, सूचना आयोग के समक्ष द्वितीय अपील प्रस्तुत कर सकता है।
दण्डारोपण
– सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत दायर शिकायत या अपील पर निर्णय देते समय आयोग देरी से सूचना देने, सूचना को इधर-उधर करना, रूकावट डालने, आदि के आरोपों के दोषी लोक सूचना अधिकारी पर ₹ 250 प्रतिदिन की दर से दण्डारोपण कर सकता है जो राशि अधिकतम ₹ 25,000 तक हो सकती है।
प्रतिवेदन
– राज्य सूचना आयोग को सूचना के अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 25(1) के अन्तर्गत अधिनियम के क्रियान्वयन के पर्यवेक्षण का अधिकार प्राप्त है। आयोग द्वारा वर्ष की समाप्ति पर अधिनियम के क्रियान्वयन का प्रतिवेदन राज्य सरकार को प्रस्तुत किया जाता है। राज्य सरकार द्वारा प्रतिवेदन को विधानसभा के पटल पर रखा जाता है। प्रतिवेदन में सामान्यत: निम्न बिन्दुओं पर सूचना प्रस्तुत की जाती है–
- प्रत्येक लोक प्राधिकरण के द्वारा प्राप्त आवेदनों की संख्या।
- निरस्त किए आवेदनों की संख्या।
- अपीलों की संख्या एवं उनके परिणाम।
- एकत्रित शुल्क की धन राशि।
- अधिनियम की भावना या आशय के प्रबंधन एवं क्रियान्वयन के लिए लोक प्राधिकरण द्वारा किए गए प्रयत्नों का विवरण।
- सुधार के लिए सुझाव।
यदि किसी लोक प्राधिकरण के द्वारा अधिनियम में प्रदत दायित्वों के निर्वहन करते समय कोई ऐसा कार्य किया जाता है जो अधिनियम के प्रावधानों या भावना से सुसंगत नहीं है तो वह अधिनियम की धारा 25(5) के तहत प्राधिकरण को ऐसे कदम उठाने की अभिशंषा कर सकता है जो उसकी दृष्टि में उन्हें सुसंगत बनाने में सहयोग करें।
राजस्थान राज्य सूचना आयोग के अध्यक्ष
क्र.स. | मुख्य सूचना आयुक्त |
प्रथम | एम. डी. कोरानी |
द्वितीय | टी. श्री निवासन |
तृतीय | सुरेश कुमार चौधरी |
चतुर्थ | श्री देवेन्द्र भूषण गुप्ता |
वर्तमान में राजस्थान राज्य सूचना आयोग –
1. श्री देवेन्द्र भूषण गुप्ता (मुख्य सूचना आयुक्त)
2. श्री राजेंद्र प्रसाद बरवर (सूचना आयुक्त-1)
3. श्री लक्ष्मण सिंह राठौर (सूचना आयुक्त-2)
4. श्री नारायण बैराठ (सूचना आयुक्त-3)
5. शीतल धनखड़ (सूचना आयुक्त-4)
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